इंसान हर तरह से टूट जाता है और चाह कर भी उसकी भरपाई नहीं हो पाती इंसान हर तरह से टूट जाता है और चाह कर भी उसकी भरपाई नहीं हो पाती
मैंने ईर्ष्या किया जीभर के, ईर्ष्या, तेरी भावना को पल-पल हर बार महसूस किया मैंने खुद मैंने ईर्ष्या किया जीभर के, ईर्ष्या, तेरी भावना को पल-पल हर बार महसूस क...
ये जो माटी ढेर है, 'मैं' माया का दास। माया गई तो मैं भी, खाक बचा अब पास।। ये जो माटी ढेर है, 'मैं' माया का दास। माया गई तो मैं भी, खाक बचा अब पास।।
सफलता-असफलता से बेपरहवाह आगे बढ़ते चले जाने की कविता सफलता-असफलता से बेपरहवाह आगे बढ़ते चले जाने की कविता
जलन के हर बार एहसास नए पाता हूँ..... जलन के हर बार एहसास नए पाता हूँ.....
किसी को गिरा के कोई नज़रों से गिर गया किसी को उठा के कोई रुतबे में बढ़ गया किसी को गिरा के कोई नज़रों से गिर गया किसी को उठा के कोई रुतबे में बढ़ गया